छोड़ो सब ऊपर वाले पर शायद अब अपने हाथ कुछ नहीं ! छोड़ो सब ऊपर वाले पर शायद अब अपने हाथ कुछ नहीं !
एक विचार...। एक विचार...।
नहीं दे सकता ये ज़िंदगी तो अब मौत ही दे दे न...! नहीं दे सकता ये ज़िंदगी तो अब मौत ही दे दे न...!
मैं अपने हिस्से की ज़िंदगी रोज़ खर्च करता हूँ... मैं अपने हिस्से की ज़िंदगी रोज़ खर्च करता हूँ...
जिंदगी को इतना खुशनुमा बनाओ मित्रों कि, वो प्रश्न पूछ बैठे मुझसे अलविदा तो न लोगे जिंदगी को इतना खुशनुमा बनाओ मित्रों कि, वो प्रश्न पूछ बैठे मुझसे अलविदा तो न लो...
जीने के लिए हर रोज़ मरना होता है, यही बताती एक कविता। जीने के लिए हर रोज़ मरना होता है, यही बताती एक कविता।